Srikanth Movie Review in Hindi
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Srikanth Movie Review in Hindi: Srikanth Movie का अनोखा सिन देख आप हो जाएंगे परेशान!

Srikanth Movie का अनोखा सिन देख आप हो जाएंगे परेशान!

Srikanth Movie Review in Hindi
Srikanth Movie Review in Hindi

 

Srikanth Movie Review in Hindi: बहुत लंबा टाइम हो गया नहीं किसी ऐसी फिल्म को देखे हुए जिसमें स्क्रीन पर एक्टर इमोशनल होता है लेकिन आंसू स्क्रीन के बाहर आपकी आंखों में होते हैं राजकुमार हिरानी सर्जी इस कैटेगरी में एक्सपर्ट माने जाते हैं लेकिन रिसेंटली डंकी ने थोड़ा धोखा सा दिया था पब्लिक को मुन्ना भाई वाला फील मिसिंग था यार तो बॉस उस राजकुमार की गलती को सुधारने एक दूसरा राजकुमार वापस आया है इन परे आंख बंद करके भरोसा कर सकते हो क्योंकि फिल्म कैसी भी हो एक्टिंग हमेशा नंबर वन राजकुमार राव ए श्रीकांत थिएटर्स तक पहुंच गए हैं.

एक बड़ी अजीबोगरीब लेकिन इमोशनल कहानी लेकर फैमिली फिल्म और बॉलीवुड डर लग रहा है ना इस फिल्म का हीरो एक चेस चैंपियन है दिमाग से जीनियस मैथ्स में कैलकुलेटर से भी तेज और क्रिकेट में नेशनल टीम की जर्सी पहन चुका है इतना सब कुछ सुनने के बाद शायद आप इंप्रेस हो गए होंगे लेकिन झटका लगेगा ये सुनकर कि अपने हीरो की सुपर पावर यह है कि वो आंखों से अंधा है डॉर एपीजे अब्दुल कलाम एक टाइम पे जिनकी फैन पूरी दुनिया हुआ करती थी वो खुद अपने हीरो के सबसे बड़े फैन थे बिजनेस पार्टनर भी बोल सकते हो वैसे हम लोग टीचर से पिट के घर वापस भाग जाते हैं.

यह बंदा पूरे एजुकेशन सिस्टम से लड़ गया था क्योंकि साइंस की जगह आर्ट्स लेने को बोल दी और पता है कोर्ट में जाकर जज के सामने इस बंदे ने क्या डायलॉग मारा अंधे की मदद कर दीजिए साहब क्योंकि आपका कानून भी तो अंधा है लेकिन कहानी की शुरुआत जमीन के नीचे एक गड्ढे से हुई थी खुद अपने घर वाले इनको पैदा होते ही मार देना चाहते थे किसी को नहीं चाहिए था अंधा बच्चा तो फिर ऐसा क्या हुआ कि वो इंसान जिसको इंडिया के लोगों ने हाथ में कटोरा देकर भीख मांगने को बोला उसको अमेरिका के सबसे महंगे कॉलेज जिसकी फीस ₹1 लाख है.

एकदम फ्री पढ़ने को अपने पास बुलाया भी नहीं जीरो फीस श्रीकांत की कहानी है ये जिनसे जब एक वकील ने पूछा साइ क्यों पढ़ना है तुम्हें सोचो अगर न्यूटन को सेफ गिरते हुए ना दिखता क्योंकि वह अंधा होता तो पूरी दुनिया को ग्रेविटी के बारे में कैसे पता चलता पता है श्रीकांत ने क्या बोला सेप गिरते हुए न्यूटन से पहले भी करोड़ों लोगों ने देखा होगा लेकिन न्यूटन ने उसके बारे में सोचा और सोचने के लिए आंख नहीं दिमाग की जरूरत होती है देखो जब किसी फिल्म की शुरुआत एक क्लासिक गाने से होती है वो भी पापा कहते हैं.

बड़ा नाम करेगा तो पिक्चर से एक्सपेक्टेशन थ्री इडियट्स के लेवल तक पहुंच जाती है फिर सोचो एक एक्टर को अंधे का रोल करना वो भी तब जब वो हकीकत में अंधा नहीं है माने फिल्म की एक्टिंग तो नेक्स्ट लेवल पे होने वाली है सब जानते थे और आपको तो पता ही है बॉलीवुड कोई कसर नहीं छोड़ता एक बेचारे इंसान को महान बनाने वाली कहानी में मिर्च मसाला लगा के टेस्टी बनाने में कितना आसान था ना एक अंधे की कहानी को मोटिवेशनल और इमोशनल बना के बेचना उसमें दो-तीन सेड सोंग्स जुड़ जाते तो शायद नेशनल अवार्ड भी मिल जाता लेकिन श्रीकांत का एक्सफेक्टर ये है कि ये ट्रेजेडी नहीं बाकी मूवीज की तरह सिर्फ एक नॉर्मल फिल्म है.

अंधे को अंधा नहीं गंदा दिखाने के लिए क्रिएटिविटी लगती है सबसे कमाल की चीज यही है कि फिल्म में श्रीकांत को सिर्फ एक नॉर्मल इंसान की तरह प्रेजेंट करने पे फोकस किया है वो हमेशा हीरो नहीं है उसके अंदर विलन भी है अच्छा काम यह किया कि फिल्म इजली हर टाइप की ऑडियंस को समझ आ जाए इसीलिए ज्यादा टेक्निकल नहीं सिंपल तरीके से सिनेमा बनाया है फुल एंटरटेनमेंट जैसे किसी इंसान पे बायोपिक बनती है मान लो वो साइंटिस्ट है तो पूरे दो-तीन घंटे ऐसी चीजें दिखाते हैं जो शायद 50 पर लोगों के सर के ऊपर से निकल जाती हैं लेकिन श्रीकांत ने ये गलती बिल्कुल नहीं की है.

पढ़ाई-लिखाई वाली बातों को कोर्ट से जोड़कर इंटरेस्टिंग बना दिया वहां आपको थोड़ा कॉमेडी मिल जाएगी और बिजनेस वाला जो एंगल है उसको अच्छाई बुराई लालच के साथ जोड़ दिया इमोशंस जो हमें मजबूर कर देते हैं किसी इंसान को जज करने के लिए खून में है हमारे बट यही चीज फिल्म की ताकत और कमजोरी दोनों है क्योंकि श्रीकांत कभी-कभी इतने नॉर्मल लगने लगते हैं कि हम भूल जाते हैं कि वो बाकी लोगों से स्पेशल क्यों हैं एक विजुअली इंपेयर्ड आदमी की लाइफ में आने वाले चैलेंज में पूरी 100% फिल्म बना के बेचना गलत बात होगी लेकिन 10 पर उस चीज को फील कराना बहुत जरूरी है.

तभी तो श्रीकांत की असली कहानी से रिलेट कर पाएंगे ना हम वरना स्ट्रगल तो राजू की लाइफ में भी था बट यहां पे सारी चीजों पे पर्दा डाल देती है राजकुमार राव की एक्टिंग जो इतना ज्यादा रियल और नेचुरल लगते हैं जैसे मानो असली श्रीकांत का इंटरव्यू देख रहे हैं पूरे टाइम ऐसा लग रहा था फर्स्ट इंडियन फिल्म देख रही हूं मैं जिसका लीड एक विजुअली चैलेंज हीरो है मतलब एक भी गलती नहीं ढूंढ सकते आप किसी भी सीन में इनके कैरेक्टर में जो अचानक ट्विस्ट वाला एंगल है ना जब ये सीक्रेड गेम्स वाले गायतोंडे भाऊ की तरह खुद को भगवान समझने लगते हैं.

वहां पे सबसे ज्यादा इंप्रेस हो जाओगे आप क्योंकि ये उम्मीद तो किसी को भी नहीं होगी कि फिल्म में ऐसा सीन भी आ सकता है जब एक अंधे इंसान पे गुस्सा आने लगे बाकी ज्योतिका मैम का क्रेडिट जो लास्ट टाइम शैतान मूवी में रह गया था वो इस बार उन्होंने फील गुड वाला कैरेक्टर प्ले करके छीन लिया है ये नहीं तो श्रीकांत नहीं और हां शरत केलकर का स्पेशल रोल है फिल्म में दो अच्छे एक्टर्स एक साथ मिलकर किसी फिल्म का ग्राफ कैसे ऊपर ले जा सकते हैं.

आप खुद समझ जाओगे अरे इवन बड़े मियां छोटे मियां से अलाया ने जो दिमाग में गड्ढा कर दिया था ऑडियंस के उसको एक बार में भर भी दिया उनकी इस फिल्म की परफॉर्मेंस ने तो यार श्रीकांत को मेरी तरफ से पांच में से पूरे साढ़े तीन स्टार्स मिलेंगे पहला बेचारे अंधे श्रीकांत की कहानी नहीं असली श्रीकांत से मुलाकात करवाना दूसरा काफी टाइम बाद किसी फिल्म के डायलॉग सुनने का मन करेगा राइटिंग फिल्म में जीरो नहीं चैंपियन है तीसरा राजकुमार राव का ब्रिलियंट परफॉर्मेंस इनके अलावा किसी दूसरे एक्टर को इस रोल में सोच भी नहीं पाओगे आप फिल्म देखने के बाद और आधा स्टार वो पापा कहते हैं.

बड़ा नाम करेगा लाइन का बेहतरीन इस्तेमाल इसको बोलते हैं म्यूजिक नेगेटिव्स में आर बड़ी वाली शिकायत सिर्फ सक्सेस स्टोरी दिखाना फेलियर तो दिखाया नहीं इसीलिए लगा श्रीकांत थोड़ा फिल्टर फिल्म हो गई और छोटी शिकायत फिल्म की एंडिंग अचानक से हो गई माने दो-तीन सींस इधर-उधर बिखरे पड़े थे उनको बीच में छोड़कर दी एंड आ गया इन शॉर्ट फैमिली फिल्म है एक्टिंग बढ़िया है मैसेज अच्छा है और ट्रेजेडी बिल्कुल नहीं है आईपीएल से थोड़ा ब्रेक चाहिए तो चले जाना थिएटर ग्रीन लाइट बाकी पोस्ट में कुछ पसंद आया हो या फिर कुछ शिकायत करनी हो तो आप मुझे कमेंट करके बोल सकते है.

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