maidaan movie trailer review in hindi
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Maidaan Movie Trailer Review in Hindi: मैदान मूवी ट्रेलर रिव्यू: क्या यह अजय देवगन की अगली ब्लॉकबस्टर होगी?

मैदान मूवी ट्रेलर रिव्यू: क्या यह अजय देवगन की एक और दमदार फिल्म होगी?

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Maidaan Movie Trailer Review in Hindi

Maidaan Movie Trailer Review in Hindi: बॉलीवुड का वो एक्टर जो बिना कंट्रोवर्सी फालतू का प्रमोशन और 300 400 करोड़ बजट खर्च ना करके भी चुपके से अपनी मूवीज को हिट करा सकता है द अजय देवगन सरजी के पास बड़ा कमाल का टैलेंट है कौन सी फिल्म रिमेक करके बनानी है इनसे बेहतर सिलेक्शन कोई दूसरा एक्टर नहीं कर सकता लेकिन अब ऑलमोस्ट 2 साल बाद आफ्टर रनवे 34 अजय सर कमबैक कर रहे हैं.

एक ओरिजिनल फिल्म के साथ इस बार बायो पिक है. माने एक्टर नकली लेकिन कहानी बिल्कुल असली मैदान इस फिल्म को ओरिजनली रिलीज होना था 4 साल पीछे 2020 में लेकिन अब आते-आते बहुत देर कर दी लेट आए पर ग्रेट आए बट छोटा सा ट्विस्ट साथ लाए ती घंटे आज के टाइम में पब्लिक को थिएटर में बिठा के रखना वो भी तब जब फिल्म का सब्जेक्ट एक स्पोर्ट्स ड्रामा है मतलब ऑडियंस वैसे ही कम हो गई इसके लिए सिर्फ दमदार कहानी से बात नहीं बनेगी फिल्म को थोड़ा अलग भी बनाना पड़ेगा जिसके जैसा आज तक कुछ देखा ना गया हो बस यहीं पे अजय देवगण एंड टीम अपना रियल लाइफ मैच हार जाते हैं पिक्चर खराब नहीं है लेकिन जो 4 साल बीत गए उसकी वजह से फिल्म पुरानी हो चुकी है कहानी बताने की जरूरत शायद आपको है.

नहीं स्टार्टिंग से एंडिंग तक खुद गेस कर सकते हो 11 लोग जो एक साथ खेलते हैं लेकिन कभी टीम नहीं बन पाते हैं फिर एंट्री होती है एक जीनियस की जो इन सबके दिमाग में देश सबसे बड़ा है उसके लिए जीतना है यह सपना बिठाना शुरू कर देता है फिर एक के बाद एक स्पीड ब्रेकर्स आना शुरू होते हैं पैसा पावर और पॉलिटिक्स तीनों से भड़कर ये 11 खिलाड़ी कब एक टीम बन गए ये खुद नहीं समझ पाते लास्ट में ग्रैंड फिनाले स्टेज सेट है देश का झंडा सबसे ऊपर है .

मैदान पे कांटे की टक्कर जिसके लास्ट सेकंड में जीनियस का जादू सबके होश उड़ा देता है ये सेम स्क्रिप्ट आप चक द इंडिया के लिए इस्तेमाल कर सकते हो अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड भी इसके अंदर फिट हो जाएगी या फिर नई-नई लेटेस्ट 83 भी 90 पर मैच करेगी लेकिन अभी भी एक चीज जो मैदान को इन बाकी सारी मूवी से अलग बना सकती थी वो है अजय देवगन का परफॉर्मेंस और एगजैक्टली हुआ भी वही है.

मैदान जैसी फिल्म पब्लिक को दो कैटेगरी में बांट देती है. एक वो जो फुटबॉल देखते समझते हैं, और दूसरे वो जो सिर्फ फिल्म देखकर एंजॉय करना चाहते हैं. और ऐसे में इन दोनों पब्लिक को आपस में जोड़ने का काम करते हैं अजय देवगन यह फुटबॉल और एंटरटेनमेंट के बीच में फेवी क्विक बन जाते हैं. वो वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई वाले अजय देवगन याद हैं. उस फिल्म से पहले कितने लोग सुल्तान मिर्ज को जानते होंगे लेकिन आज नाम सुनते ही अजय देवन का फोटो ऑटोमेटिक दिमाग में घूमने लगता है.

क्या जबरदस्त कॉन्फिडेंस के साथ हर एक सीन में जान डाल दी थी उन्होंने सेम वैसा ही काम मैदान में रिपीट कर दिया उन्होंने कोच रहीम की हिस्ट्री बहुत पहले से लिखी होगी लेकिन अब उसको शक्ल देने का काम अजय सर ने किया है वैसे टेंशन नॉट मैदान के अंदर फुटबॉल का उतना टेक्निकल साइड यूज नहीं हुआ है सिर्फ अजय देवगन के जादुई डायलॉग से पूरा गेम बदल जाता है और जब जब फुटबॉल स्क्रीन पे आता है उसको इतना इजी लेकिन ट्विस्ट एंड टर्न्स वाला सस्पेंस डाल के ेंट करते हैं कि हर किसी को फुटबॉल में इंटरेस्ट आने लगता है मैदान को बनाया है.

अमित शर्मा ने जो एक बार ऑलरेडी आपको बधाइयों जैसा सिनेमा बना के सहपरिवार थिएटर जाके फिल्म देखने को मजबूर कर चुके हैं इसीलिए इनको इमोशनल सिनेमा बनाना बहुत अच्छे से आता है जिस वजह से जब आप मैदान का क्लाइमैक्स देखकर उठते हो ना फिल्म से कोई शिकायत करने का मन नहीं करता मैदान की फिल्म मेकिंग जबरदस्त है. जो बनाया है वह बहुत बढ़िया है. किसी ने भी खराब काम नहीं किया इवन कहानी भी बहुत ज्यादा मोटिवेशनल है और हां सोच लो उस फिल्म की कहानी कितनी बढ़िया तरीके से सुनाई गई होगी जो गजराज राव जैसे कॉमेडियन को भी अजय देवगन की टक्कर का विलन बना देती है लेकिन दिक्कत यही है.

कि बॉलीवुड इजी सिंपल कॉपी पेस्ट फॉर्मूला पर जिंदा है पैसा कमाने के लिए एकदम सेफ सिनेमा बनाया जा रहा है कुछ भी नया एक्सपेरिमेंट ट्राई करके रिस्क लेने की हिम्मत बॉलीवुड में पता नहीं कब आएगी झुंड फिल्म आई थी अमिताभ सर की उसके क्रिएटर मराठी थे इतनी सारी स्पोर्ट्स बेस्ड फिल्म बन चुकी हैं लेकिन झुंड में ऐसी चीजें दिखाई थी जो सिर्फ उस फिल्म में मौजूद हैं कोई सोचता भी नहीं है वो सब बट मैदान में कुछ भी डिफरेंट नहीं है नए पैकेट के अंदर वही पुराना माल भर के बेच दिया है टेस्ट गजब है लेकिन अलग नहीं है.

हां लेकिन एक चीज जो 3 घंटे की फिल्म से आपको बिल्कुल एंड तक जोड़ के रखती है वो है. स्पोर्ट सींस के पीछे डाला गया धासू बैकग्राउंड म्यूजिक एआर रहमान सिर्फ नाम ही काफी है वैसे फिल्म में जो लिरिक्स वाले गाने हैं वो सिर्फ टाइम पास हैं. लेकिन बीजीएम फुटबॉल सींस को 10 गुना ज्यादा खतरनाक बना देता है तो यार मैदान को मेरी तरफ से पांच में से पूरे तीन स्टार्स मिलेंगे पहला फिल्म से जुड़े एक्टर्स का बेहतरीन इस्तेमाल अजय देवगन एज लीड कमाल है. गजराज राव की विलन वाली शक्तियां बाहर निकालना और प्रियामणि का सिर्फ एक डायलॉग बड़ी-बड़ी एक्ट्रेस के पूरे करियर पे भारी पड़ जाना दूसरा फिल्म को फुटबॉल के बेसिस पर डिवाइड ना करते हुए बहुत इजी तरीके से गेम को इमोशन से जोड़ना ताकि हर कोई कहानी से जुड़ जाए और तीसरा फिल्म का क्लाइमैक्स जिसके पीछे रहमान सर का म्यूजिक आपको पैसा वसूल.

वाली फीलिंग पक्का देगा नेगेटिव्स में पहली शिकायत पुरानी कहानी 3 घंटे की फिल्म के बावजूद आप इंडियन टीम के बारे में तो सब कुछ जान गए लेकिन कोच रहीम अभी भी अजनबी हैं दूसरी शिकायत फिल्म का सब्जेक्ट उतना रिसर्च नहीं किया सिर्फ ऊपर ऊपर से स्पोर्ट्स ड्रामा बना के बेच दिया बहुत सारी डिटेल्स बीच से गायब हैं बड़ा सा गड्ढा इन शॉर्ट फिल्म अच्छी है खराब बिलकुल नहीं है लेकिन घर पे चक दे इंडिया देखनी है या फिर थिएटर जाके मैदान फैसला आप कर लो पर्स थोड़ा खाली हो जाएगा बस बाकी पोस्ट में कुछ पसंद आया हो या फिर कुछ शिकायत करनी हो तो कमेन्ट कर सकते है.

 

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